तुलसी (Basil) – स्वास्थ्य के लिए एक वरदान
19:17:00शायद ही कोई ऐसा भारतीय हो, जिसने कभी तुलसी (Basil) का पौधा न देखा हो। भारत में तुलसी (Basil) को पवित्र माना जाता है तथा देवी के रूप में पूजा जाता है। यही कारण है कि भारत के घरो में तुलसी का पौधा अनिवार्य रूप से लगाया जाता है। घर-आँगन में लगा हुआ तुलसी का पौधा न केवल वहाँ की हवा को शुद्ध करता है बल्कि अनेक रोगों को घर में प्रवेश करने से भी रोकता है। इसीलिए हमारे देश में यह मान्यता है कि जहाँ तुलसी का पौधा होता है वहाँ स्वयं भगवान वास करते हैं!
स्वास्थ्य के लिए तुलसी अत्यन्त लाभप्रद है। तुलसी के प्रति 100 ग्राम में निम्न पोषक तत्व पाये जाते हैं –
कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates) – 2.65 ग्राम
प्रोटीन (Protein) – 3.15 ग्राम
विटामिन (Vitamin A) – 264 μg
विटामिन (Vitamin B6) – 0.155 μg
विटामिन (Vitamin C) – 18.0 मिली ग्राम
विटामिन (Vitamin E) – 0.80 मिलीग्राम
विटामिन (Vitamin K) – 414.8 μg
कैल्शियम (Calcium) – 177 मिली ग्राम
आयरन (Iron) – 3.17 मिली ग्राम
मैग्नेशियम (Magnesium) – 64 मिली ग्राम
मैंगनीज (Manganese) – 1.148 मिली ग्राम
फास्फोरस (Phosphorus) – 56 मिली ग्राम
पोटेशियम (Potassium) – 295 मिली ग्राम
सोडियम (Sodium) – 4 मिली ग्राम
जिंक (Zinc) – 0.81 मिली ग्राम
क्लोरीन (Choline) – 11.4 मिली ग्राम
वसा (Fat) – 0.64 ग्राम
पानी (Water) – 92.06 ग्राम
Thiamine – 0.034 μg
Energy – 94 kJ (22 kcal)
Dietary fiber – 1.6 g
Riboflavin – 0.076 mg
Niacin – 0.902 mg
Folate – 68 μg
तुलसी (Basil) के कुछ लाभदायक गुण –
तुलसी (Basil) कोलेस्ट्राल को नियन्त्रित रखती है इसलिए दिल की बीमारी के लिए यह एक वरदान है। हृदयाघात के रोगियों को तुलसी (Basil) के रस का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
तुलसी (Basil) की पत्तियों का काढे को शहद के सा मिलाकर नियमित रूप से सेवन करने से किडनी की पथरी मूत्र मार्ग से 6 माह के भीतर ही निकल जाती है।
तुलसी (Basil) की पत्तियों के रस में बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से झाईयाँ और फुंसियाँ ठीक हो जाती है तथा चेहरा निखर उठता है।
तुलसी (Basil) के पत्तों के रस का काढा बनाकर उसमें सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से फ्लू रोग में लाभ मिलता है। इससे बुखार में भी फायदा मिलता है।
तुलसी (Basil) के पत्तों का रस दिन में 4-5 बार सेवन करने से माइग्रेन दूर होता है।
हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों को जानकारी थी कि तुलसी की पत्ती डली हुई पानी का की दो-चार बूंदे ही मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं, इसी कारण से मन्दिरों में चरणामृत का प्रावधान बनाया गया है।
प्रोटीन (Protein) – 3.15 ग्राम
विटामिन (Vitamin A) – 264 μg
विटामिन (Vitamin B6) – 0.155 μg
विटामिन (Vitamin C) – 18.0 मिली ग्राम
विटामिन (Vitamin E) – 0.80 मिलीग्राम
विटामिन (Vitamin K) – 414.8 μg
कैल्शियम (Calcium) – 177 मिली ग्राम
आयरन (Iron) – 3.17 मिली ग्राम
मैग्नेशियम (Magnesium) – 64 मिली ग्राम
मैंगनीज (Manganese) – 1.148 मिली ग्राम
फास्फोरस (Phosphorus) – 56 मिली ग्राम
पोटेशियम (Potassium) – 295 मिली ग्राम
सोडियम (Sodium) – 4 मिली ग्राम
जिंक (Zinc) – 0.81 मिली ग्राम
क्लोरीन (Choline) – 11.4 मिली ग्राम
वसा (Fat) – 0.64 ग्राम
पानी (Water) – 92.06 ग्राम
Thiamine – 0.034 μg
Energy – 94 kJ (22 kcal)
Dietary fiber – 1.6 g
Riboflavin – 0.076 mg
Niacin – 0.902 mg
Folate – 68 μg
तुलसी (Basil) के कुछ लाभदायक गुण –
तुलसी (Basil) कोलेस्ट्राल को नियन्त्रित रखती है इसलिए दिल की बीमारी के लिए यह एक वरदान है। हृदयाघात के रोगियों को तुलसी (Basil) के रस का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए।
तुलसी (Basil) की पत्तियों का काढे को शहद के सा मिलाकर नियमित रूप से सेवन करने से किडनी की पथरी मूत्र मार्ग से 6 माह के भीतर ही निकल जाती है।
तुलसी (Basil) की पत्तियों के रस में बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलाकर चेहरे पर लगाने से झाईयाँ और फुंसियाँ ठीक हो जाती है तथा चेहरा निखर उठता है।
तुलसी (Basil) के पत्तों के रस का काढा बनाकर उसमें सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से फ्लू रोग में लाभ मिलता है। इससे बुखार में भी फायदा मिलता है।
तुलसी (Basil) के पत्तों का रस दिन में 4-5 बार सेवन करने से माइग्रेन दूर होता है।
हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों को जानकारी थी कि तुलसी की पत्ती डली हुई पानी का की दो-चार बूंदे ही मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभदायक हैं, इसी कारण से मन्दिरों में चरणामृत का प्रावधान बनाया गया है।
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